फुर्र फुर्र फुर्र फुर्र करके उडाय रहे हैं
सर्र सर्र सर्र सर्र करके सब जाय रहे हैं
कटी पतंग सब लूट रहे हैं
फट से ले के लग्गी बझाय रहे हैं
ये फांसा वो फांसा चिल्लाय रहे हैं
की बोर्ड पे जिन्ना नचाय रहे हैं
पटेल की पतंग भी घुमाय रहे हैं
सोच सोच के निकाल रहे हैं
सोचे की मंझा तेज है ,
अब किट कीताय रहे हैं
बगैर सोचे भी दाव
लगाय रहे हैं
नया पटेल भी बनाय रहे हैं
दिल्ली के दंगा माँ हेराय रहे हैं
सब के सब पतंग उडा़य रहे हैं...
राहुल भाई दिल बाघ बाघ हो गया बस यूँ समझिये माशाहारी से सीधा शाकाहारी ........फुर फुर फुर....
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