Wednesday, December 27, 2017

एफआरडीआई बैंकों का भरोसा तोड़ देगा

अभी क्या है कि अकाउंट में एक लाख रुपये तक जमा होते हैं तो उनका पूरा इंश्योरेंस होता है। बैंक डूब जाए, भाग जाए, लुट जाए, जल जाए, तो भी हमारा पैसा सेफ रहता है।
ये इंश्योरेंस एलआईसी नहीं करती है। इसके लिए बाकायदा डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन है। ये रिजर्व बैंक की सहायक कंपनी है। इस बिल में इसे बंद कर देंगे और इसकी जगह इसके जैसा कोई दूसरा कॉरपोरेशन नहीं खोला जाएगा।
लेकिन इससे भी जरूरी बात तो ये है कि बैंकों पर हमारे भरोसे की वजह सिर्फ ये कॉरपोरेशन ही नहीं था। हमें भरोसा इसलिए भी था कि हमारी सरकार बैंकों की मालिक है और अगर कभी ये बैंक फेल हुए तो कम से कम वो तो इनके पीछे खड़ी है।

यह वही विश्वास है, वही यकीन है जिसकी वजह से हमारे आप जैसे लाखों लोग जाने कैसे और किन जरूरतों को सोचकर बैंकों में पैसा जमा करते रहे हैं। और इस जमा के बदले में हमें जो ब्याज मिलता है, वो तो डिपाजिट शेयर, म्यूचुअल फंड और कई तरीकों के हिसाब से बहुत कम होता है। मगर भरोसा तो होता है।
अब ये भरोसा, हमारा ये यकीन खत्म हो जाएगा। पहले जब लोग बैंकों पर भरोसा नहीं करते थे तो वो जाने कहां कहां अपना पैसा छुपाकर रखते थे। बक्सों में, जमीन के अंदर, पुराने तहखानों में या दीवार के पीछे
लोग मानते थे कि बैंक नाम की जो चीज है, उसकी अपनी कोई गुडविल नहीं है और वो कुछ  अज्ञात किस्म के निजी ऑपरेटर चलाते हैं। लेकिन बैंकों के राष्ट्रीयकरण ने इस तरह की सोच बदल डाली। हममें भरोसा जागा कि अब तो सब बैंक सरकार के हैं और सरकार हमारा पैसा लेकर कहां जाएगी। वापस तो करेगी ही।
जारी
Story- Pro. Prabhat Patnayak



पार्ट- 1- 

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