Wednesday, August 26, 2009

डायरी के तीन पन्ने

सन १९९६
स्थान- फैजाबाद
दोपहर को जब सरस्वती लाइब्रेरी से विज्ञान दीपक लेकर आया तो उसमे छापी कहानी पढ़ी। कहानी मे सन २००० की कल्पना की गई थी। मजमून कुछ यूँ था... सन २००० मे रेल और सड़क यात्रा की जरूरत नही होगी। सब लोगो के पास कार होगी जो हवा मे उडेगी। (वैसे कई जगह पढ़ा तो है की पहले की विज्ञान कहानियाँ सच होती जा रही हैं। हवा मे उड़ने की कल्पना ही तो थी, उड़ने तो लगे !!!) काश की ऐसा दिन आता और मेरे पास भी एक कार होती और मैंने उससे हवा मे उड़ता होता। तब तो मैं किसी के भी घर जा सकता हूँ....

सन २०००
स्थान- मिल्कीपुर, फैजाबाद
हम्म... दुकान तो ठीक चल रही है लेकिन गाव वाले पेड़ ही नही लगा रहे हैं.... फ्री मे दे रहे हैं तो भी नही लेकर जा रहे हैं....वैसे क्या जिन्दगी भर इस मिल्कीपुर मे दुकानदारी करनी है? यही मिल्कीपुर बचा हुआ है पेड़ लगवाने के लिए? एक से बढ़कर एक तो बदमाश हैं यहाँ.....ससुरे फ्री मे फोग्गिंग मशीन ले जाते हैं और चार चार दिन तक नही लौटाते। और एक तो ये पंडित साला, पूरे गाव मे क्वेरी के रूप मे बदनाम हो गया है....गाव भर हमको ताना दे रहा है कि तुम ही हो जो उसके खेत मे बैंगन और मिर्चा लगवाए। मौसी बता रही थी की धुनकारी को तो पिछले साल पच्छु टोला वालों ने बिजली का करंट लगाकर मार डाला था.... पता नही क्या होगा....

सन २००९
स्थान- दिल्ली मे किसी जगह पर
सावधान...कुछ भी लिख देने से पहले सावधान। आगे पीछे सोच लो। ये कोई सच का सामना नही है। कसम से, अब कुछ लिख क्यों नही सकता हूँ? उड़ क्यों नही सकता हूँ....

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