Wednesday, August 5, 2009

अपराध हद से पार


अभी अभी अपने एक साथी हम बीट पत्रकार से बात हो रही थी। कुछ देर तो दुआ सलाम और बहुत दिनों से फोन न करने की शिकायतों मे बीता, बाकी शहर की स्थिति के बारे मे। वो बता रहे थे की अब तो गाजियाबाद मे जितना क्राइम हो रहा है, खासकर गाजियाबाद के धन बाहुल्य इलाकों मे, जैसे की वसुंधरा, वैशाली, इंदिरापुरम, लिंक रोड , शालीमार गार्डन वगैरह मे हो रहा है, शायद पूरी दिल्ली मे नही हो रहा है। उनकी बात सही थी। तकरीबन ४ महीने पहले जब मैं साहिबाबाद ब्यूरो मे हुआ करता था, तब अपराध का ग्राफ बढ़ना शुरू हुआ था। अब तो ये बेहद बढ़ गया है। मेरे साथी, पहले मेरी साहिबाबाद डेस्क के प्रभारी से ही दो दिन पहले रात मे दोबारा लूट हो गई। बेचारे काम ख़त्म करके देर रात घर लौट रहे थे, एक कैब से लिफ्ट क्या ली, कैब वालों ने ऐ टी एम् के कोड सहित सब कुछ लूट लिया। सोचने वाली बात है, की एक अकेला आदमी , आधी रात के बाद का समय, और उसके पास जो कुछ भी हो, लूटकर उसे सरेराह छोड़ दिया जाता है। कैसा लगता होगा उस शख्स को जो लुटा। बात रकम की नही है या माल की भी नही है। बात तो है उस मनोस्थिति की जिसमे ये लुटेरे हमें पंहुचा देते हैं। बहरहाल, मेरे वो पहले वाले हम-बीट साथी पत्रकार कह रहे थे की रात नौ बजे के बाद आनंद विहार या यू पी गेट की तरफ़ से मोहननगर आने की हिम्मत करके देखिये, रास्ते मे ही लुट जायेंगे। सबसे ज्यादा जो चिंता की बात है की लुटेरे अब घाट लगाकर कही बैठ नही रहे, वो तो बस कार से या बस से या ट्रक से आते हैं, आपकी गाड़ी के आगे लगते हैं, तमाचा दिखाकर सब लूट ले जाते हैं। अभी परसों ही इन्दिअरापुरम की तरफ़ लूट मे एक युवक की हत्या भी हुई।
लूट की बात से याद आया....
लूट की बात से याद आया की हमारे एक थाना प्रभारी थे। एक बार उन्होंने लूट की एक मार्मिक कहानी बताई... वो पूरी कहानी अगली पोस्ट मे।

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