Tuesday, March 22, 2016

थर्मल पावर प्लांट्स की वजह से भारत में गंभीर जल संकट

जल क्षेत्रों में प्रस्तावित 170 गिगावाट कोयला प्लांट्स से बढ़ सकती है किसानों की जल समस्या


नई दिल्ली। 22 मार्च 2016। यदि सैकड़ों कोयला पावर प्लांट्स की योजना को हरी झंडी मिल जाती है तो भारत में पहले से ही घटते जल संसाधनों पर गंभीर संकट उत्पन्न हो जाएगा। इस योजना की वजह से सूखे की स्थिति पैदा हो सकती है और विदर्भ, मराठवाड़ा तथा उत्तरी कर्नाटक में पहले से ही पानी को लेकर कृषि और उद्योग के बीच चल रहे संघर्ष बढ़ने की आंशका है। देश में अभी 10 राज्यों ने सूखा घोषित कर रखा है और महाराष्ट्र व कर्नाटक में पानी की कमी की वजह से कुछ पावर प्लांट्स को बंद भी कर दिया गया है।

ग्रीनपीस इंटरनेशनल द्वारा जारी रिपोर्ट  ‘द ग्रेट वाटर ग्रैवः हाउ द कोल इंडस्ट्री इड डिपेनिंग द ग्लोबल वाटर क्राइसिस’ से पता चलता है कि वैश्विक स्तर पर प्रस्तावित नये कोयला प्लांट्स का एक चौथाई हिस्सा उन क्षेत्रों में स्थापित करने की योजना है जहां पहले से ही पानी का संकट है।(रेड-लिस्ट एरिया) चीन इस लिस्ट में 237 गिगावाट के साथ सबसे उपर है जबकि दूसरे नंबर पर भारत है जहां 52 गिगावाट थर्मल पावर प्लांट्स रेड-लिस्ट क्षेत्र में है और 122 गिगावाट गंभीर जल क्षेत्र में प्रस्तावित है। कुल मिलाकर लगभग 40 प्रतिशत कोयला प्लांट्स गंभीर जल क्षेत्र में लगाए जाने की योजना है। यदि सभी प्रस्तावित कोयला प्लांट्स का निर्माण हो जाता है तो भारत के कोयला उद्योग में पानी की खपत वर्तमान से दोगुनी, लगभग 15.33 दस लाख एम 3 प्रतिवर्ष हो जायेगी, जो चीन सहित दूसरे सभी देशों से सबसे अधिक होगा।

यह पहली रिपोर्ट है जिसमें पहली बार वैश्विक स्तर पर अध्ययन करके बताया गया है कि जिसमें प्रत्येक संयंत्रों का अध्य्यन करके कोयला उद्योग के वर्तमान और भविष्य में पानी की मांग को शामिल किया गया है। इसके अलावा उसमें उन देशों तथा क्षेत्रों को भी चिन्हित किया गया है जो जल संकट से सबसे अधिक प्रभावित होगा। भारत में कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बड़े हिस्से में पानी की माँग उपलब्ध पानी से 100 प्रतिशत अधिक हो गयी है। इसका मतलब यह हुआ कि भूजल लगातार खत्म हो रहा है या अंतर-बेसिन स्थानान्तरण का सहारा लिया जा रहा है।

इसके अलावा, लगभग सभी प्रमुख राज्यों का बड़ा भूभाग जल संकट से जूझ रहा है। इनमें महाराष्ट्र, तमिलनाडू, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य भी शामिल हैं। यह क्षेत्र गंभीर रुप से सूखे की चपेट में हैं  फिर भी इन इलाकों में थर्मल पावर प्लांट्स प्रस्तावित किये गए हैं जिसमें भारी मात्रा में पानी की जरुरत होगी, जबकि पहले से चालू पावर प्लांट्स जल संकट का सामना कर रहे हैं। महाराष्ट्र का परली पावर प्लांट को जुलाई 2015 से बंद कर दिया गया है और कर्नाटक में रायचुर पावर प्लांट को भी हाल ही में पानी की वजह से बंद किया गया है। एनटीपीसी सोलापुर बिजली संयंत्र पानी की आपूर्ति के मुद्दों के कारण देरी का सामना कर रहा है।

ग्रीनपीस के सीनियर कैंपेनर हरी लैमी ने कहा, “मानवता के लिए अपने खतरे के संदर्भ में, कोयला एक विनाशकारी हैट्रिक को हासिल कर चुका है। जलते कोयले, न केवल जलवायु और हमारे बच्चों के स्वास्थ्य के लिये खतरा है। बल्कि यह हमारे उस पानी पर भी खतरा है जो हमारे जीवन को बचाये रखने के लिये जरुरी है”।

विश्व स्तर पर, 8359 मौजूदा कोयला विद्युत संयंत्र पहले से ही पर्याप्त पानी की खपत कर रहे हैं जिससे 1.2 अरब लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए पानी की कमी हो रही है।

ग्रीनपीस इंटरनेशनल रिपोर्ट की समीक्षा करने वाली संस्था टिकाऊ ऊर्जा परामर्श की संस्था इकोफिस के विशेषज्ञ डॉ जोरिस कूरनीफ ने कहा, “इस रिपोर्ट में उन क्षेत्रों को चिन्हित किया गया है जहां कोयले के उपयोग की वजह से पानी की कमी का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही इसमें यह भी बताया गया है कि कैसे ऊर्जा और पानी का मुद्दा जुड़ा हुआ है। खासकर, कोयले की आपूर्ति और उपयोग के लिहाज से”।

कोयला से बिजली पैदा करने में पानी की सबसे अहम भूमिका है। अंतर्राष्ट्रीय  ऊर्जा एजेंसी के अनुसार अगले 20 सालों में कोयला उर्जा के लिये इस्तेमाल की जाने वाली जल की मात्रा का 50 प्रतिशत अकेले खपत करेगा। इस हिसाब से, हजारों नये कोयला प्लांट्स की कल्पना करना भी अविश्वसनीय है। ग्रीनपीस तत्काल उच्च जल क्षेत्र में कोयला विस्तार की योजना को स्थगित करने की मांग करती है। साथ ही, सभी प्रस्तावित नये कोयला प्लांट्स को उपलब्ध पानी का विश्लेषण करने तथा कोयला से इतर सोलर और वायु ऊर्जा की तरफ बढ़ने की मांग करती है जिसमें पानी की जरुरत नहीं है।

ग्रीनपीस कैंपेनर जय कृष्णा कहते हैं, “कोयला प्लांट्स से धीरे-धीरे वापसी करके ही भारत भारी मात्रा में पानी को बचा सकता है। अगर प्रस्तावित 52 गीगावॉट कोयला संयंत्र बनाने की योजना को खत्म कर दिया जाता है तो इससे 1.1 मिलियन एम 3 पानी प्रति साल हम बचा सकते हैं”।

पेरिस जलवायु समझौता 2015 के बाद, जब सभी देश जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने और सौ प्रतिशत अक्षय ऊर्जा का तरफ बढ़ रहे हैं, भारत को यह तय करना होगा कि वह कोयला आधारित बिजली को बढ़ावा देगा या फिर देशवासियों और किसानों की जल संकट को दूर करने का प्रयास करेगा।

Thursday, March 17, 2016

‘जन विकल्प मार्च’ पर लाठी चार्ज, महिलाओं से अभद्रता, कई कार्यकर्ता हुए चोटिल


मनुवाद और सांप्रदायिकता के खिलाफ नया राजनीतिक विकल्प खड़ा करेगा ‘जन विकल्प मार्च’

लखनऊ 16 मार्च 2016। रिहाई मंच के ‘जन विकल्प मार्च’ पर पुलिस ने लाठी चार्ज किया, महिला नेताओं से अभद्रता की और नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया। मंच ने कहा कि प्रदेश में सत्तारुढ़ अखिलेश सरकार द्वारा सरकार के चार बरस पूरे होने पर जन विकल्प मार्च निकाल रहे लोगों को रोककर तानाशाही का सबूत दिया है। मंच ने अखिलेश सरकार पर आरोप लगाया कि जहां प्रदेश भर में एक तरफ संघ परिवार को पथसंचलन से लेकर भड़काऊ भाषण देने की आजादी है लेकिन सूबे भर से जुटे इंसाफ पसंद अवाम जो विधानसभा पहुंचकर सरकार को उसके वादों को याद दिलाना चाहती थी को यह अधिकार नहीं है कि वह सरकार को उसके वादे याद दिला सके। मुलायम और अखिलेश मुसलमानों का वोट लेकर विधानसभा तो पहुंचना चाहते हंै लेकिन उन्हें अपने हक-हुकूक की बात विधानसभा के समक्ष रखने का हक उन्हें नहीं देते। अखिलेश सरकार पर लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने का आरोप लगाते हुए मंच ने कहा कि इस नाइंसाफी के खिलाफ सूबे भर की इंसाफ पसंद अवाम यूपी में नया राजनीतिक विकल्प खड़ा करेगी।

रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि जिस तरीके से इंसाफ की आवाज को दबाने की कोशिश और मार्च निकाल रहे लोगों पर हमला किया गया उससे यह साफ हो गया है कि यह सरकार बेगुनाहों की लड़ाई लड़ने वाले लोगों के दमन पर उतारु है। उसकी वजहें साफ है कि यह सरकार बेगुनाहों के सवाल पर सफेद झूठ बोलकर आगामी 2017 के चुनाव में झूठ के बल पर उनके वोटों की लूट पर आमादा है। सांप्रदायिक व जातीय हिंसा, बिगड़ती कानून व्यवस्था, अल्पसंख्यक, दलित, आदिवासी, महिला, किसान और युवा विरोधी नीतीयों के खिलाफ पूर्वांचल, अवध, बुंदेलखंड, पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत पूरे सूबे से आई इंसाफ पसंद अवाम की राजधानी में जमावड़े ने साफ कर दिया कि सूबे की अवाम सपा की जन विरोधी और सांप्रदायिक नीतियों से पूरी तरह त्रस्त है। उन्होंने कहा कि सपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में वादा किया था कि आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को रिहा करेगी, उनका पुर्नवास करेगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। पर उसने किसी बेगुनाह को नहीं छोड़ा उल्टे निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर कार्रवाई न करते हुए मौलाना खालिद मुजाहिद की पुलिस व आईबी के षडयंत्र से हत्या करवा दी। कहां तो सरकार का वादा था कि वह सांप्रदायिक हिंसा के दोषियों को सजा देगी लेकिन सपा के राज में यूपी के इतिहास में सबसे अधिक सांप्रदायिक हिंसा सपा-भाजपा गठजोड़ की सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति द्वारा करवाई गई। भाजपा विधायक संगीत सोम, सुरेश राणा को बचाने का काम किया गया। उन्होंने कहा कि सपा सैफई महोत्सव से लेकर अपने कुनबे की शाही विवाहों में प्रदेश के जनता की गाढ़ी कमाई को लुटाने में मस्त है। दूसरी तरफ पूरे सूबे में भारी बरसात और ओला वृष्टि के चलते फसलें बरबाद हो गई हैं और बुंदेलखंड सहित पूरे प्रदेश का बुनकर, किसान-मजदूर अपनी बेटियों का विवाह न कर पाने के कारण आत्महत्या करने पर मजबूर है।

रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि दलित छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या और जेएनयू में कन्हैया कुमार, उमर खालिद, अनिर्बान को देशद्रोही घोषित करने की संघी मंशा के खिलाफ पूरे देश में मनुवाद और सांप्रदायिकता के खिलाफ खड़े हो रहे प्रतिरोध को यह जन विकल्प मार्च प्रदेश में एक राजनीतिक दिशा देगा। उन्होंने कहा कि बेगुनाहों, मजलूमों के इंसाफ का सवाल उठाने से रोकने के लिए जिस सांप्रदायिक जेहनियत से ‘जन विकल्प मार्च’ को रोका गया अखिलेश की पुलिस द्वारा ‘जन विकल्प मार्च’ पर हमला बोलना वही जेहनियत है जो जातिवाद-सांप्रदायिकता से आजादी के नाम पर जेएनयू जैसे संस्थान पर देश द्रोही का ठप्पा लगाती है। उन्होंने कहा कि सपा केे चुनावी घोषणा पत्र में दलितों के लिए कोई एजेण्डा तक नहीं है और खुद को दलितों का स्वयं भू हितैषी बताने वाली बसपा के हाथी पर मनुवादी ताकतें सवार हो गई हैं। प्रदेश में सांप्रदायिक व जातीय ध्रुवीकरण करने वाली राजनीति के खिलाफ    रिहाई मंच व इंसाफ अभियान का यह जन विकल्प मार्च देश और समाज निर्माण को नई राजनीतिक दिशा देगा।

इंसाफ अभियान के प्रदेश प्रभारी राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि सपा सरकार के चार बरस पूरे होने पर यह जन विकल्प मार्च झूठ और लूट को बेनकाब करने का ऐतिहासिक कदम था। सरकार के बर्बर, तानाशाहपूर्ण मानसिकता के चलते इसको रोका गया क्योंकि यह सरकार चैतरफा अपने ही कारनामों से घिर चुकी है और उसके विदाई का आखिरी दौर आ गया है। अब और ज्यादा समय तक सूबे की इंसाफ पसंद आवाम ऐसी जनविरोधी सरकार को बर्दाश्त नहीं करेगी।

सिद्धार्थनगर से आए रिहाई मंच नेता डाॅ मजहरूल हक ने कहा कि मुसलमानों के वोट से बनी सरकार में मुसलमानों पर सबसे ज्यादा हिंसा हो रही है। हर विभाग में उनसे सिर्फ मुसलमान होने के कारण अवैध वसूली की जाती है। उन्हें निरंतर डराए रखने की रणनीति पर सरकार चल रही है। लेकिन रिहाई मंच ने मुस्लिम समाज में साहस का जो संचार किया है वह सपा के राजनीतिक खात्में की बुनियाद बनने जा रही है। वहीं गांेडा से आए जुबैर खान ने कहा कि इंसाफ से वंचित करने वाली सरकारें इतिहास के कूड़ेदान में चली जाती हैं। सपा ने जिस स्तर पर जनता पर जुल्म ढाए हैं, मुलायाम सिंह के कुनबे ने जिस तरह सरकारी धन की लूट की है उससे सपा का अंत नजदीक आ गया है। इसलिए वह सवाल उठाने वालों पर लाठियां बरसा कर उन्हें चुप कराना चाहती है।

मुरादाबाद से आए मोहम्मद अनस ने कहा कि आज देश का मुसलमान आजाद भारत के इतिहास में सबसे ज्यादा डरा और सहमा है। कोई भी उसकी आवाज नहीं उठाना चाहता। ऐसे में रिहाई मंच ने आतंकवाद के नाम पर मुसलमानों के फंसाए जाने को राजनीतिक मुद्दा बना दिया है वह भविष्य की राजनीति का एजेंडा तय करेगा। बम्बई से आए मोहम्मद इस्माईल ने कहा कि सपा की अपनी करनी के कारण आज पूरे सूबे में जो माहौल बना है वह उससे झंुझलाई सरकार अब उससे सवाल पूछने वालों पर हमलावर हो गई है। रिहाई मंच इस जनआक्रोश को जिस तरह राजनीतिक दिशा देने में लगा है वह प्रदेश की सूरत बदल देगा।

प्रदर्शन को मैगसेसे अवार्ड से सम्मानित संदीप पांडे, फैजाबाद से आए अतहर शम्सी, जौनपुर से आए औसाफ अहमद, प्यारे राही, बलिया से आए डाॅ अहमद कमाल, रोशन अली, मंजूर अहमद, गाजीपुर से आए साकिब, आमिर नवाज, गांेडा से आए हादी खान, रफीउद्दीन खान, इलाहाबाद से आए आनंद यादव, दिनेश चैधरी, बांदा से आए धनन्जय चैधरी, फरूखाबाद से आए योगेंद्र यादव, आजमगढ़ से आए विनोद यादव, शाहआलम शेरवानी, तेजस यादव, मसीहुद््दीन संजरी, सालिम दाउदी, गुलाम अम्बिया, सरफराज कमर, मोहम्मद आमिर, अवधेश यादव, राजेश यादव, उन्नाव से आए जमीर खान, बनारस से आए जहीर हाश्मी, अमित मिश्रा, सीतापुर से आए मोहम्मद निसार, रविशेखर, एकता सिंह, दिल्ली से आए अजय प्रकाश, प्रतापगढ़ से आए शम्स तबरेज, मोहम्मद कलीम, सुल्तानपुर से आए जुनैद अहमद,कानपुर से आए मोहम्मद अहमद, अब्दुल अजीज, रजनीश रत्नाकर, डाॅ निसार, बरेली से आए मुश्फिक अहमद, शकील कुरैशी, सोनू आदि ने भी सम्बोधित किया। संचालन अनिल यादव ने किया।

Wednesday, March 16, 2016

पढ़ि‍ए कन्‍हैया के भाषण की प्रमुख बातें

जो दोस्त और दुश्मन 15 मार्च की रैली में कन्हैया का भाषण सुनने चूक गए थे, चाहें तो एक घंटे में सुन सकते हैं या 10 मिनट में पढ़ भी सकते हैं... (लिखित में इसलिए कि यूट्यूब से एक भाषण डिलीट कर दिया गया है)
वैसे, लड़का मोदी जी से भी ज्यादा अपडेट रहता है...
(भरत सिंह)
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1- एक बार नेहरू जी एक गांव में गए, लोग भारत माता की जय कह रहे थे। नेहरू ने पूछा भारत माता की जय से क्या समझते हो? किसी ने कहा मिट्टी की जय, किसी ने देश की जय, किसी ने कहा झंडे की जय। नेहरू ने जवाब दिया- नहीं, तुम्हारी जय ही भारत माता की जय है।

2- ये लोग कहते हैं जेएनयू में देशद्रोही हैं। नहीं मोदी जी, हम आरएसएस के खिलाफ द्रोह कर रहे हैं। जिस देश में सरसंघचालक कहते हैं, महिलाओं को घर से नहीं निकलना चाहिए, हम कहते हैं कि महिलाओं को घर से निकलना चाहिए।
(यहां देखि‍ए पूरा भाषण- क्‍लि‍क करि‍ए)
3- इस देश के अंदर पहले छात्रों और सेना को बांटने की कोशिश की गई, फिर सेना और व्यापारियों को बांटने की कोशिश की गई। माननीय मोदी जी ने कहा, सेना से ज्यादा रिस्क व्यापारी लेते हैं। हम कहते हैं मोदी जी, इस देश को बचाने के लिए फुटपाथ पर काम करने वाला, खेतों में काम करने वाला, बाजारों में काम करने वाला या सीमा पर जान देने वाला ही सबसे ज्यादा रिस्क ले सकता है। आप बांट नहीं सकते हमको...। आप में बहुत सारे लोग कार चलाते होंगे, कभी तय कर पाए हो कि ब्रेक ज्यादा जरूरी है कि हॉर्न ज्यादा जरूरी है। आप तय नहीं कर सकते। ये कौन तय करते हैं? ये वही तय करते हैं, जिनको हाफ पैंट से फुल पैंट होने में सालों लग गए।

4- ...कहते हैं सरकारी स्कूलों को बंद कर देना चाहिए, उद्घाटन में थे माननीय मोदी जी...। कहते हैं, सरकारी स्कूल में पढ़ने वालों को ज्ञान नहीं होता। मंगलयान पर 56 इंच की छाती चौड़ी कर रहे थे जनाब। जो भेजे हैं मंगलयान को, वे सब सरकारी स्कूलों में पढ़े हैं। जेएनयू भी सरकारी है, आईआईटी भी सरकारी है, आईआईएम भी सरकारी है, जो इस देश का टॉप संस्थान माना जाता है। मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं और तो और इस देश का संसद और राष्ट्रपति भवन भी सरकारी है।

5- आपने आजकल आपने हाथ में तिरंगा झंडा उठाया है। बहुत खुशी की बात है। 47 में जलाया था जनसंघ ने, भाजपा ने उठाया है 2016 में। कई साल लग गए संघ को अपने कार्यालय में तिरंगा फहराने में। हम तो 47 से झंडा फहरा रहे हैं, हमको झंडे की कीमत पता है। यह झंडा बनता किससे है? झंडा बनता है कपास से। कपास को उगाता कौन है? किसान। आज अत्महत्या कौन कर रहा है? कपास को उगाने वाला किसान। अगर आप झंडे का सम्मान करना चाहते थे तो वन रैंक-वन पेंशन को लागू कर देना चाहिए था, आपने सैनिकों पर डंडे बरसा दिया। सेवंथ पे कमिशन लागू कर देना चाहिए था अब तक...।

(यहां देखि‍ए पूरा भाषण- क्‍लि‍क करि‍ए)

6- हम तो विद्यार्थी हैं। मेरे बारे में कहा जा रहा है कि सब्सिडी का पैसा खा रहा है। अरे साहब, सब्सिडी का पैसा खिलाकर आपने जिसको सांसद बनाया था, वह तो लंदन चला गया...। हमारा काम तो पढ़ना है, हम पढ़ रहे हैं। ...वीरता इतनी ही जरूरी है आपके लिए और आपके समय में लगता है कि भगत सिंह वाली वीरता होनी चाहिए तो 23 बरस में भगत सिंह फांसी चढ़ गए थे, आप एमपी क्यों बने हुए हैं?

7- बहुत ही साधारण तरीके का बजट पेश किया गया माननीय वित्त मंत्री के द्वारा और बीजेपी के लोगों ने कहा, असाराधारण बजट पेश हुआ है। वैसे बीजेपी जो कर रही है इस समय देश में वह ऐतिहासिक ही है। पहली बार ऐसा हुआ है कि जो लोग हमारा भविष्य तय कर रहे हैं वे खुद ही विश्वविद्यालय नहीं गए। बजट आने से पहले सेंसेक्स गिर गया, बजट आते ही सेंसेक्स उछल गया, मगर मेरी मां जब झोला लेकर बाजार में गई तो न दाल के दाम कम हुए थे और न आटे के।

8- मोदी जी अगर सुन रहे हैं तो सुन लीजिए। मोदी जी ने कहा है कि भाषण देने से कोई अच्छा नेता नहीं बनता, ये बात आप पर भी लागू होती है...। दो साल सरकार को हो गए, न अच्छा दिन दिखा, न अच्छी रात दिखी। दिन कमाने में निकल जाता, रात भूख मिटाने में निकल जाती। न दिन अच्छा, न रात अच्छी, किसका साथ, किसका विकास? जानें मोदी जी, किसने दिया साथ, किसका हो रहा विकास? खाता तो खुलवाया गया जनधन योजना में, पर 15 लाख रुपया नहीं आया। और आप ऐसा मत कहिए कि बीजेपी कुछ कर नहीं रही है। बीजेपी कह रही है, मंदिर वहीं बनाएंगे, पर डेट नहीं बताएंगे...। हम सब लोग स्कूलों में पढ़े हैं। भारत का इतिहास पढ़े हैं। उस देश के इतिहास में कहीं भी आरएसएस नहीं मिलता जो आजादी के लिए लड़ा हो।

9- (भाषण के बीच में हमला होने पर) ये लोग यहां आए हैं, इनको आने दीजिए। अगर ये आएंगे नहीं तो देश को पता नहीं चलेगा कि देश में असली देशभक्त कौन है और देश को बेच कौन रहा है। कोई इंसान मुझे तब मारने आता है जब मैं देश की बात कर रहा होता हूं। आज वह समय आ गया है आप जब देशभक्ति और मोदीभक्ति में फर्क करें...। मैं संविधान की बात करता हूं तब भी किसी को मिर्ची लगे तो ये भरम मत पालना कि ये देशभक्त है। मान लेना कि तीन साल सरकार बची है, कहीं न कहीं सेट होने का जुगाड़ लगा रहा है। हम को थप्पड़ मारकर किसी का करियर बन जाए! मोदी जी तो रोजगार दे न पाए, शायद इससे ही किसी का जीवन सेटल हो जाए..

(यहां देखि‍ए पूरा भाषण- क्‍लि‍क करि‍ए)

10- पूरे विमर्श में बुलेट ट्रेन पता नहीं कहां चली गई, काला धन पता नहीं कहां चला गया। यह सवाल आया ही नहीं कि इस देश की जनता ने चायवाले के बेटे को प्रधानमंत्री बना दिया, पर वो साहब परिधान मंत्री बनकर करोड़ों रुपया उड़ा रहे हैं। इसलिए हमपर हमला होता है, क्योंकि हम कहते हैं गुजरात तो आपने करा दिया, आगे नहीं कराने देंगे...। दंगा करना इनका धंधा है, इसे कभी भी धर्म की रक्षा से जोड़कर मत देखिएगा। देशभत्ति को मोदीभक्ति में बदलने का कन्वर्टर इनके पास है, इस सॉफ्टवेयर में कभी मत फंसिएगा।

11- जो ये कहते हैं, वह नहीं करते हैं, जो ये कह रहे हैं वह तो कभी नहीं करते हैं। विकासपुरुष बनकर वोट लिया अब यूपी चुनाव में कह रहे हैं कि देश खतरे में है। दो साल से सरकार आपकी है। 2 से 80 पर आए, 80 से 180 पर आए, 180 से 283 पर आए तब भी देश नहीं बचा पाए, क्योंकि आपको देश नहीं अपनी कुर्सी बचानी है।

12- कोई दो लाइन की शायरी लिखता है तो उसका देशभक्ति का सर्टिफिकेट छीन लेते हैं। कोई मंच पर कहता है कि सर कलम करके ले आओ तो उसे विधायक बना दिया जाता है। कुछ लोगों को पीटने को कुछ नहीं मिलता तो घोड़े पर फस्ट्रेशन निकाल देते हैं...।

13- कोई मरता है तो शौक से नहीं मरता है, कोई गरीब है तो ये उसका भाग्य नहीं है, कोई बेरोजगार है तो ये उसकी नियति नहीं है। आप मानिए इस बात को कोई किसी को मरने पर मजबूर कर रहा है, कोई किसी को बेरोजगार बना रहा है, कोई किसी को गरीब बनाकर रखना चाहता है।

14- हम बोलेंगे तो ये बोलेंगे कि बोलता है, इसलिए हम नहीं बोलेंगे। इनका अपना भारतीय मजदूर संघ है, जो बीजेपी की नीतियों के खिलाफ सड़कों पर उतर रहा है। इनका अपना किसान संघ है, जो भूमि अधिग्रहण के खिलाफ सड़कों पर उतर रहा है। आप चेक कर लीजिए, खबरों में आया है। ये किसी के नहीं हैं, न हमारे न तुम्हारे....।

15- आजकल इन्होंने नया दुश्मन बनाया है। पहले ये पाकिस्तान के नाम पर वोट मांते थे। अब पाकिस्तान जाकर जबसे ये चाय पीकर आ गए हैं तो ये हिंदुस्तान में ही पाकिस्तान बनाना चाहते हैं। आजकल जेएनयू वालों को कहते हैं कि पाकिस्तान चले जाओ। भाई साहब, कुछ दिन अगर आप इस देश में रह गए तो हिंदुस्तान को ही पाकिस्तान बना दोगे।

16- ...तुम कर क्या सकते हो? तुम्हारे पास तीन हजार रुपये में बहाल साइबर सेल है। अगर मेरी आवाज उनतक पहुंच रही हो तो मैं उनसे भी कहना चाहता हूं, मत कीजिए, तीन हजार में नौकरी। कहिए मोदी जी को आपके पास बहुत पैसा है। मुझे 30 हजार का वेतन दीजिए। तब मैं जेएनयू वालों को गाली दूंगा। तीन हजार में गाली नहीं देने वाला हूं। कोई जेएनयू को लाइक करता है, उसे भी गाली देते हैं, उसकी मां-बहन को भी गाली देते हैं, उसके घरवालों को गाली देते हैं, दोस्तों को देते हैं। कहिए कि इतनी गाली हम तीन हजार में नहीं देंगे...। ऐसा करोगे तो जेएनयू में सबसे पहले तुमहारे हक में जत्था निकलेगा।

17- बीजेपी के एक नेता ने कहा कि किसान आत्महत्या आजकल फैशन से कर रहे हैं, पैकेज लेने के लिए कर रहे हैं। मैं उनसे कहता हूं कि अगर आप किसानी किए हैं तो एक बार आप भी इस फैशन को अपना लीजिए, आपको भी पैकेज मिल जाएगा।

(यहां देखि‍ए पूरा भाषण- क्‍लि‍क करि‍ए)

18- जब पूरा देश अंग्रेजों से लड़ रहा था तो ये बैठकर अंग्रेजों से सेटलमेंट कर रहे थे। इसलिए अंग्रेजों ने इनको राज करने का एक मंत्र दिया है- फूट डालो, राज करो।

19- एक न्यूज चैनल है... हमने कहा, भाई साहब एक-एक सेकंड का ऐड दिखाने में करोड़ों रुपया लेते हो तो पूरे के पूरे प्राइम टाइम के लिए कितना पैसा मिला है, बता दो। उन्होंने बोला कि हम देश के पक्ष में बोल रहे हैं, हमने कहा कि देश की राजधानी नागपुर है कि दिल्ली और देश क्या है, ये कौन तय करेगा, ये भाजपा ऑफिस से तय होगा कि संविधान से। अगर यह देश संविधान से तय होगा तो तुम जिम्मेदार हो इस देश में नफरत फैलाने के लिए। ये बात मैंने कही थी 11 तारीख को। 12 तारीख को मुझे गिरफ्तार किया गया। 11 तारीख को मैंने अपने दोस्तों से कहा था कि यह बहुत मुश्किल समय है, फासीवाद कोई ढोल-ड्रम बजाकर नहीं आएगा, अंग्रेजी बाजा बजाकर नहीं आएगा। धीरे-2 आपके घर में घुस जाएगा। घर में घुस जाएगा तो सिर्फ जेएनयू के लिए परेशानी नहीं होगी, नोएडा के फिल्मसिटी में भी आएगा और आपकी स्क्रिप्ट लिखकर जाएगा। आप स्क्रिप्ट से अलग दिखाएंगे तो आपको प्रेस्टिट्यूट कहा जाएगा, जो कहा जा रहा है साइबर सेल के द्वारा। आपको देश का दलाल कहा जाएगा, जो कहा जा रहा है कुछ पत्रकारों को। और ये सिर्फ कहने से नहीं मानते हैं, क्योंकि इनके लिए डराना जरूरी है और जो डरता नहीं है ये गोली चलाते हैं, गांधी की तरह। ये बात 11 तारीख को इनको कही थी और 15 तारीख को पटियाला हाउस कोर्ट में पत्रकारों के ऊपर हमला किया गया... ये कौन सी भक्ति है, देशभक्ति तो कतई नहीं...

20- कहते हैं कि हम विवेकानंद को मानते हैं। मानेंगे विवेकानंद की उस बात को कि उन्होंने कहा था, किसी गरीब के सामने आध्यात्म की बात करना सबसे बड़ा अपराध है। इसीलिए जबसे ये आए हैं, विवेकानंद के नाम पर कोई योजना नहीं है, दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर योजना बनी है। कहते हैं, भगत सिंह का देश है। हम भी कहते हैं, अगर मानते हो इस बात को तो चंडीगढ़ एयरपोर्ट का नाम बदकर मंगल सेन के नाम पर क्यों कर दिए भाई साहब? तुमसे भगत सिंह नहीं बर्दाश्त होंगे क्योंकि भगत सिंह कहते थे कि गोरे चले जाएंगे और काले आ जाएंगे..।

21- ये कहते हैं कि सरकार के खिलाफ बहुत बोला जा रहा है.. सरकार के खिलाफ न बोलें तो विपक्ष के खिलाफ बोलें। सरकार में आप हो, पीएम आप हो, नीतियां आप बनाते हो, शिक्षा मंत्री आप हैं , ससंद में झूठ आप बोलते हैं और हम बोलें विपक्ष के खिलाफ?

22- इनको लोकतंत्र बिल्कुल पसंद नहीं है, इसलिए केंद्र सरकार का नाम बदल करके मोदी सरकार कर दिया है। पहले केंद्र सरकार बोलते थे, आजकल मोदी सरकार बोलते हैं, सुन करके लगता है कि एक आदमी देश चला रहा है।

23- लोकतंत्र पर पहला हमला- जो 10वीं पास नहीं है, चुनाव नहीं लड़ सकता। कल को कह देना कि कि जिसके पास पांच लाख का सूट नहीं है, वह वोट नहीं दे सकता...। लोकतंत्र में लोक का ही राज होगा। लोक अगर मूर्ख है तो मूर्ख का ही राज होगा, गरीब है तो गरीब का ही राज होगा, दलित है तो दलित का ही राज होगा।

24- अगले साल यूपी में चुनाव हैं, वहां जाओगे तो लोग आपका देशभक्ति का सर्टिफिकेट चेक नहीं करेंगे, वे आपका रिपोर्ट कार्ड चेक करेंगे। वे कहेंगे कीमतें तो नहीं घटीं, पईसा भी नहीं आया। तब क्या कहोगे? जेएनयू में देशद्रोहियों से लड़ रहे थे? तब हम भी आएंगे और बताएंगे कि ये हमको देशद्रोही क्यों बनाए हैं, क्योंकि हमने इनसे 15 लाख रुपया मांगा।

(यहां देखि‍ए पूरा भाषण- क्‍लि‍क करि‍ए)

25- ... पहले र से रथ पढ़ाया जाता था अब कुछ और पढ़ाया जा रहा है। म से कुछ और पढ़ाया जा रहा है, अ से कुछ और पढ़ाया जा रहा है गुजरात के स्कूलों में। ...विद्यार्थी तय करे कि उसका सिलेबस क्या होगा। टीचर तय करे कि उसका और विद्यार्थी का संबंध क्या होगा। पूरा विश्वविद्यालय तय करे कि उसका वाइस चांसलर कौन होगा।

26- ...आपसे खुले में कहते हैं कि अगर अपना वादा पूरा कर दिया तो आपसे नफरत नहीं रहेगी। मेरा अकाउंट नंबर है, आप 15 लाख भेज दीजिए, महंगाई कम कर दीजिए, महिलाओं पर अत्याचार कम कर दीजिए और बुलेट ट्रेन चलाइएगा तो उसके टिकट का दाम इतना रखिएगा कि फुटपाथ पर काम करने वाला भी गंदले कपड़े में जाकर उसमें बैठ सके...। आपके खिलाफ बोलने का हमको ठेका नहीं मिला है। हमको इतनी फुर्सत नहीं है कि अपनी पढ़ाई-लिखाई छोड़कर आपमें अपना दिमाग लगाते रहें।

27- ...दरअसल आपने हमारी पूरी बुनियाद ही हिला दी है, आपने हमारे संविधान को ही पलट दिया है। देखते-देखते चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगाई है, कल को वोट देने पर पाबंदी लगा देंगे। इसलिए आज हम यहां से कह देते हैं, वोट हमारा-राज तुम्हारा, नहीं चलेगा-2।

28- जैसे वोट के वक्त आप हाथ जोड़कर आते हैं, वैसे ही हम हाथ जोड़कर आपको कहना चाहते हैं कि जैसे हमारा वोट और धीरू भाई अंबानी के बेटे का वोट बराबर है, तो हमरा घर का बच्चा और उनके घर का बच्चा एक ही स्कूल में पढ़ सके, ऐसा कर दो।

29- हम जो भी चीज खरीदते हैं, आप उन सबमें लेते हैं इनक्लूसिव टैक्स। टैक्स जाता कहां है, आपके कोष में। उसका आप करते क्या हैं, बेलआउट पैकेज देते हैं माल्या जी को और मोदी जी को। ये प्रधानमंत्री वाले नहीं...दूसरे वाले। दोनों देश छोड़कर चले जाते हैं तो देशभक्त हैं। हम अपना अधिकार मांगते हैं तो देशद्रोही हैं। ये पैमाना नहीं चलेगा। एक देश में दो पैमाना नहीं चलेगा-2।

30- और स्मृति जी, आप तो बहुत संस्कार की बात करती हैं। सच में आगर आपके अंदर इतना संस्कार है तो थोड़ा सा मान दीजिए। आपने जो गलती की है, जो भी सही लगे आपको, अगर इस्तीफा दे सकती हैं तो वही कर दीजिए, माफी मांग सकती हैं तो वही कर दीजिए।

Tuesday, March 15, 2016

अखिलेश यादव से अल्पसंख्यक मुद्दे से जुड़े 40 सवाल

लखनऊ 14 मार्च 2016। रिहाई मंच ने सपा सरकार के चार साल पूरे होने पर अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव, हिंसा, आतंकवाद के नाम पर बेगुनाहों को फंसाने का आरोप लगाया। मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने चार सालों में अखिलेश यादव द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय से किए गए वादों पर अमल न करने का आरोप लगाया। इंसाफ अभियान के उपाध्यक्ष सलीम बेग ने मुसलमानों के शैक्षणिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए मुस्लिम बाहुल्य जिलों में स्कूल-काॅलेज न खोलने, यूनानी चिकित्सा पद्धति के साथ सौतेला बर्ताव जैसी नीतियों पर सवाल करते हुए आरएसएस के एजेण्डे को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नेतृत्व को बढ़ाने का आरोप लगाया। उर्दू, अरबी और फारसी भाषा एवं अल्पसंख्यक संस्थानों से संबन्धित वादा न पूरा करने वाली सपा सरकार के चार साल पर रिहाई मंच ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से 40 सवाल किए हैं।

1- उत्तर प्रदेश के जो बेकसूर मुस्लिम नौजवान दहशतगर्दी के नाम पर जेलों में बंद हैं उन्हें चुनावी वादे के अनुसार क्यों नहीं रिहा किया गया?

2- अदालतों द्वारा बरी हुए आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को चुनावी वादे के अनुसार पुर्नवास और मुआवजा क्यों नहीं दिया गया?

3- सांप्रदायिक हिंसा के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई?

4- मुसलमानों को 18 फीसदी आरक्षण देने का वादा पूरा क्यों नहीं किया गया?

5- यूपी में सांप्रदायिक हिंसा बिल लाने के लिए सरकार ने गंभीरता क्यों नहीं दिखाई?

6- सच्चर, रंगनाथ और कुंडू रिपोर्ट सिफारिशों पर अमल क्यों नहीं किया गया?78- मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक हिंसा में पीडि़त परिवारों को अखिलेश सरकार ने इंसाफ दिलाने का वादा पूरा क्यों नहीं किया?

7- लव जिहाद के नाम पर साम्प्रदायिक उन्माद और हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ सरकार ने उचित धाराओं में कारवाई क्यों नहीं की?

8- राजनैतिक विरोधियों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ भड़काऊ भाषण द्वारा प्रदेश में अराजकता फैलाने वाले नेताओं पर कानून के मुताबिक कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं की गई?

9- प्रदेश के राज्य अल्पसंख्यक आयोग में वार्षिक रिपोर्ट तैयार नहीं होती, मामलों का कोई केस स्टडी नहीं होता। सांप्रदायिक हिंसा से ग्रस्त मुजफ्फरनगर, दादरी तक में आयोग ने कोई दौरा नहीं। इसकी स्थापना के गाइड लाइन के अनुसार जनपदों में अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के पदों पर तैनात अधिकारी अल्पसंख्यक नहीं हैं। सरकार की इस उदासीनता की वजह क्या है?

10- प्रधानमंत्री के नए 15 सूत्रीय कार्यक्रम के क्रम संख्या 14 व 15 में उल्लिखित है कि जो भी नौजवान दहशतगर्दी के तहत जेलों में बंद किए जाएंगे और अदालती प्रक्रिया से बरी होंगे उन्हें पुर्नवास मुआवजा और सरकारी नौकरी दी जाएगी। परन्तु इस पर अमल क्यों नहीं किया गया?

11- प्रधानमंत्री के नए 15 सूत्रीय कार्यक्रम के मुताबिक आतंकवाद के नाम पर जेलों में बंद किए गए नौजवानों को फर्जी तरीके से फंसाने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई उन्हीं धाराओं के तहत किए जाने की बात के बावजूद ऐसे मामलों में कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई?

12- मुसलमानों के अंदर आत्म विश्वास पैदा करने के लिए राजकीय सुरक्षा बलों में मुसलमानों की भर्ती का विशेष प्रावधान करने और कैम्प आयोजित करने का वादा पूरा क्यों नहीं किया गया?

13- सभी सरकारी कमीशनों, बोर्डों और कमेटियों में कम से कम एक अल्पसंख्यक प्रतिनिधि को सदस्य नियुक्त करने के सरकार के वादे का क्या हुआ?

14- सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 से अखिलेश सरकार ने 3 दिसंबर 2015 को सूचना अधिकार नियमावली 2015 से उर्दू भाषा में आवेदन/अपील देने पर क्यों लगाई पाबंदी?

15- बुनकरों की कर्ज माफी क्यों नहीं?

16- किसानों की तरह गरीब बुनकरों को मुफ्त बिजली देने के वादे का क्या हुआ?

17- जिन औद्योगिक क्षेत्रों में अल्पसंख्यकों की बहुलता है जैसे हथकरघा, हस्तकला, हैण्ड लूम, कालीन उद्योग, चूड़ी, ताला, जरी, जरदोजी, बीड़ी, कैंची उद्योग उन्हें राज्य द्वारा सहायता देकर प्रोत्साहित करने, करघों पर बिजली के बकाया बिलों पर लगने वाले दंड और ब्याज को माफ कर बुनकरों को राहत देने, छोटे और कुटीर उद्योगों में कुशल कारीगरों की कमी को पूरा करने के लिए प्रत्येक विकास खंड स्तर पर एक-एक आईटीआई की स्थापना करने का वादा पूरा क्यों नहीं हुआ?

18-यूपी के अल्पसंख्यक बहुल्य जिलों में संचालित मल्टी सैक्टोरल डेवलपमेंट प्लान के तहत संचालित अधिकांश योजनाएं अपूर्ण क्यों हैं?

19- 20 अगस्त 2013 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रदेश में अल्पसंख्यक समुदाय को उनका वाजिब हक दिलाने के लिए अल्पसंख्यकों को 30 विभिन्न विभागों में संचालित 85 योजनाओं में 20 प्रतिशत मात्राकृत लाभान्वित किए जाने का जो वादा किया था उसे क्यों नहीं पूरा किया गया?

20- 25 अक्टूबर 2013 की घोषणा के अनुसार स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना के अन्तर्गत मुस्लिमों को 20 प्रतिशत लाभान्वित किया जाना था जिसमें से स्वर्ण जयंती शहरी योजना अंतर्गत 6 उपयोजनाएं संचालित तो हुई परन्तु 31 मार्च 2014 को समाप्त कर दी गई। इस मद के लिए जो पैसा था वह कहां खर्च हुआ?

21- उर्दू को दूसरी सरकारी भाषा मानने के बावजूद अखिलेश सरकार के कार्यकाल में सरकारी कामकाज में महत्वपूर्ण सरकारी नियमों, विनियमों, सरकारी आदेशों समेत गजट का रुपान्तर उर्दू भाषा में क्यों नहीं?

22- ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती उर्दू, अरबी-फारसी विश्वविद्यालय लखनऊ की प्रथम परिनियमावली में उर्दू/अरबी/फारसी के अंक अन्य विषयों की तरह अंक पत्र में न जोड़े जाने के निर्णय से उक्त विश्वविद्यालय के स्थापना के मकसद को ही खत्म कर दिया गया। ऐसा क्यों किया गया?

23- ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती उर्दू, अरबी-फारसी विश्वविद्यालय लखनऊ की प्रथम परिनियमावली में टीचिंग और नाॅन टीचिंग स्टाफ की नियुक्ति में उर्दू की अनिवार्यता को क्यों समाप्त कर दिया गया?

24- ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती उर्दू, अरबी-फारसी विश्वविद्यालय लखनऊ में एक भी नई फैकल्टी क्यों नहीं खोली गई?

25- ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती उर्दू, अरबी-फारसी विश्वविद्यालय लखनऊ से मदरसों को जोड़ने के बजाए उसे मदरसों से दूर क्यों किया गया?

26- ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती उर्दू, अरबी-फारसी विश्वविद्यालय लखनऊ के कुलपति, रजिस्ट्रार, प्राॅक्टर, ओएसडी, फाइनेंसर कोई भी उर्दू भाषा का सनद प्राप्त क्योें नहीं है?

27- ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती उर्दू, अरबी-फारसी विश्वविद्यालय लखनऊ की प्रथम परिनियमावली उर्दू भाषा में क्यों नहीं?

28- रफीकुल मुल्क मुलायम सिंह यादव आईएएस उर्दू स्टडी सेंटर में मात्र 50 सीट जबकि प्रदेश में 75 जिले। पढ़ाई का माध्यम उर्दू भाषा नहीं और कोई पद स्थाई नहीं, अािखर ऐसा क्यों?

29- उर्दू की प्रोन्नति के लिए मुस्लिम बहुल इलाकों में प्राइमरी, मिडिल व हाई स्कूल स्तर पर सरकारी उर्दू मीडियम स्कूलों की स्थापना क्यों नहीं की गई?

30- अखिलेश सरकार के कार्यकाल में यूपी में एक भी यूनानी मेडिकल कालेज की स्थापना क्यों नहीं की गई?

31- यूपी के 54 जिलों में 253 यूनानी चिकित्सालयों में नर्स और फार्मेसिस्ट की नियुक्ति किसी भी संस्थान में क्यों नहीं?

32- यूनानी चिकित्सा पैथी जिसका कोर्स उर्दू भाषा में है उसके नर्स और फारमेसिस्ट के कोर्स से उर्दू को क्यों बाहर किया?

33- यूनानी चिकित्सा पैथी की 2008 से आज तक कोई भी नियमावली व स्थाई निदेशक क्यों नहीं?

34- मुसलमानों के वह शैक्षिक संस्थान जो विश्वविद्यालय की शर्तों पर पूरे उतरते हैं उन्हें कानून के तहत युनिवर्सिटी का दर्जा देने का वादा पूरा क्यों नहीं किया गया?

35- अखिलेश सरकार ने आर्थिक सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से अधिक पिछ़ड़ा मानते हुए दलितों की तरह दलित मुस्लिमों को जनसंख्या के आधार पर अलग से आरक्षण क्यों नहीं दिया?

36- सपा सरकार द्वारा बनाए गए मुहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय की सभी कानूनी बाधाएं समाप्त करने की बात तो की गई थी लेकिन क्या अच्छा होता कि इस विश्वविद्यालय को सरकारी विश्वविद्यालय के रुप में बनाया गया होता। क्योंकि जो यह विश्वविद्यालय भी डोनेशन की बुनियाद पर ही प्रवेश देता है जिससे गरीब जनता को सीधा लाभ नहीं पहुंच रहा है। उक्त क्षेत्र में प्राईवेट कई विश्वविद्यालय मौजूद हैं। जबकि बरेली से लेकर मेरठ तक 200 किमी के परिक्षेत्र में एक भी सरकारी विश्वविद्यालय नहीं है। सरकार ने उक्त क्षेत्र में कोई सरकारी विश्वविद्यालय क्यों नहीं बनवाया जिससे जनता को सीधा लाभ पहुंचता?

37- मुस्लिम बहुल जिलों में नए सरकारी शैक्षिक संस्थानों की स्थापना क्यों नहीं की गई?

38- कब्रिस्तानों की भूमि पर अवैध कब्जे को रोकने व भूमि की सुरक्षा के लिए चहारदिवारी के निर्माण पर कार्य क्यों नहीं किया गया?

39- दरगाहों के सरंक्षण व विकास हेतु दरगाह ऐक्ट का वादा क्यों पूरा नहीं किया और स्पेशल पैकेज के वादे का क्या हुआ?

40- वक्फ डाटा कम्प्यूटरीकृत स्कीम के तहत आज तक वक्फ के सारे डाटा कम्प्यूटरीकृत क्यों नहीं किए गए?

ककरापारा दुर्घटना के बाद ग्रीनपीस ने की पुराने भारी पानी रिएक्टरों के जाँच की मांग

गुजरात में ककरापारा परमाणु विद्युत स्टेशन में 11 मार्च को हुई गंभीर दुर्घटना के बाद ग्रीनपीस इंडिया ने देश के सभी पुराने भारी दबाव युक्त पानी रिएक्टरों की स्वतंत्र विशेषज्ञों द्वारा  तत्काल जाँच करवाने की मांग की है।  दुर्घटना के 72 घंटों के बाद भी, भारतीय परमाणु नियामक रिसाव की वजह का पता लगाने में असफल रहे हैं।

ग्रीनपीस कैपेंनर होजेफा मर्चेन्ट ने कहा, “ककरापारा की दुर्घटना संभवतः पुराने पुरजों में खराबी की वजह से हुई है। हमें चिन्ता है कि इन्हीं कारणों की वजह से दूसरे भारी पानी रिएक्टरों में भी दुर्घटना घट सकती है। हमें ककरापारा दुर्घटना की सार्वजनिक जांच करनी चाहिए और देश के बाकी पुराने भारी पानी रिएक्टरों की जाँच भी करनी चाहिए।

शुक्रवार को, फुकुशिमा त्रासदी के पांचवे बरसी पर , ककरापारा परमाणु विद्युत स्टेशन के यूनिट 1 में उस समय एमर्जेंसी घोषित की गयी, जब रिएक्टर शीतलन प्रणाली से रिसाव का पता चला। हालांकि घटना के तुरंत बाद रिएक्टर को तत्काल बंद कर दिया गया, परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (एईआरबी) ने कहा है कि यह दुर्घटना अंतर्राष्ट्रीय परमाणु इवेंट के पैमाने पर स्तर 1 की दुर्घटना है।

ककरापर यूनिट 1 करीब 20 साल पुराना है और एक  कनेडीयन डिज़ाइन पर आधारितदबाव युक्त भारी जल रिएक्टर कनाडू’ (कनाडा ड्यूटेरियम यूरेनियम) है। भारत में इसी डिज़ाइन के करीब सात और रिएक्टर हैं जो 20 साल पुराने हो चुके हैं। इन रिएक्टरों में किसी भी दुर्घटना से इन आठ रिएक्टरों के करीब 30 किलोमीटर क्षेत्र के आसपास रहने वाले 40 लाख से अधिक लोगों की जान खतरे में पड़ सकती है।[1].

कनाडू रिएक्टर जैसे-जैसे पुराने होते हैं, उन्मे दुर्घटना के खतरे भी बढ़ जाते हैं क्योंकि उन हजारों पाइप की, जो ईंधन और भारी पानी के परिवहन के लिये इस्तेमाल होते हैं, उनकी गुणवत्ता घटने लगती है। दुर्घटना के खतरे को देखते हुए कनाडू रिएक्टरों को 25 साल बाद बंद कर, पूरी तरह सेरीट्यूबिंगकिया जाना चाहिए।

होजेफा का कहना है, “ककरापर दुर्घटना पर जारी बयान में परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड ने कहा है कि रिएक्टर केप्रेशर ट्यूब’, जो ईंधन के बंडल को रखते हैं, को 2011 में बदला गया लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि  सुरक्षा के मद्देनजर सभी संवेदनशील पुरजों को बदला गया या नहीं। न तो ककरापार के संचालक और न ही नियामक ने यह खुलासा किया है कि किन पुरजों और ट्यूब में खराबी की वजह से रिसाव की घटना हुई है। इसलिए ककरापार दुर्घटना और भारत के दूसरे पुराने रिएक्टरों की तत्काल जाँच करने की जरुरत है।

कनाडू रिएक्टर डिज़ाइन की विशेष जानकारी रखने वाले ग्रीनपीस कनाडा के कार्यकर्ता शॉन-पैट्रिक स्टेनशिल ने बताया, “काकरापर घटना ने हमें याद दिलाया है कि भारत के कई भारी पानी रिएक्टर पुराने हो गये हैं और दुर्घटना के लिहाज से संवेदनशील हैं। पुराने रिएक्टरों के प्रभाव को अभी अच्छे से नहीं समझा जा सका है - लोगों की सुरक्षा के लिहाज से एहतियाती कदम उठाने की जरुरत है। सभी बीस साल पुराने भारी पानी रिएक्टर की जाँच होनी चाहिए जिससे यह तय हो सके कि ककरापर की घटना दूसरे स्टेशनों में नहीं दुहरा पाये। सभी जांच को सार्वजनिक किया जाना चाहिए और इनकी स्वतंत्र समीक्षा होनी चाहिए।

भारत में फिलहाल 18 दबाव युक्त भारी जल रिएक्टर में से आठ कनाडू डिजायन के हैं जो बीस साल पुराने हो चुके हैं। चार सबसे पुराने रिएक्टर रावतभाटा, राजस्थान में और चेन्नई, तमिलनाडू में स्थित हैं। इन सभी आठ जगहों के 30 किलोमीटर के आसपास करीब 4.16 मिलियन लोग रहते हैं। ककरापरा के 30 किलोमीटर इलाके में भी करीब दस लाख लोग रहते हैं।

Notes to Editors:
2- रिएक्टर जानकारी एनपीसीआईएल वेबसाइट से इकट्ठा
3- जनसंख्या 2011 की जनगणना से इकट्ठा
4- ‘रीट्यूबिंग डेटा एईआरबी वार्षिक रिपोर्ट से संकलित
5- तालिका: वर्तमान दबाव भारी पानी रिएक्टरों (PHWRs) और खतरे में जनसंख्या


नाम
कमीशन की तारीख
रिएक्टर प्रकार और क्षमता
उम्र
अंतिम retubed
30 किलोमीटर की परिधि के भीतर आबादी
केपीसए APS 1
6 मई 1993
दबावयुक्त भारी जल रिएक्टर - 220mw
22
2008- 11
काकरापारा गुजरात
960,000
KAPS 2
1 सितंबर 1995
दबावयुक्त भारी जल रिएक्टर- 220mw
20
?
आरएपीसए  1
16 दिसंबर 1973
दबावयुक्त भारी जल रिएक्टर- 100mw
42
2003
रावटभाटा राजस्थान
460,000
आरएपीसए 2
1 अप्रैल 1981
दबावयुक्त भारी जल रिएक्टर- 200mw
35
2007
एमएपीसए 1
27 जनवरी 1984
दबावयुक्त भारी जल रिएक्टर- 220mw
32
2003-06
चेन्नई तमिलनाडु
500,000
एमएपीसए 2
21 मार्च 1986
दबावयुक्त भारी जल रिएक्टर- 220mw
29
2002-04
एनएपीसए1
1 जनवरी 1991
दबावयुक्त भारी जल रिएक्टर- 220mw
25
2005-08
नरोरा उत्तरप्रदेश
2,240,000
एनएपीसए 2
1 जूलाई 1992
दबावयुक्त भारी जल रिएक्टर- 220mw
24
2007-10

Friday, March 11, 2016

सपा-भाजपा के सांप्रदायिक गठजोड़ के खिलाफ 16 मार्च को लखनऊ में ‘जन विकल्प मार्च’

16 मार्च को लखनऊ में होने वाले विकल्प मार्च के एजेंण्डे को

पहुंचाने के लिए शुरु हुई लखनऊ में नुक्कड़ सभाएं

लखनऊ 11 मार्च 2016। रिहाई मंच ने कहा है कि मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा

के दोषियों भाजपा विधायक संगीत सोम, सुरेश राणा समेत संघ परिवार के

लोगों को जिस तरह अखिलेश यादव ने बचाने की कोशिश की उसने सपा-भाजपा

के बीच के गठजोड़ को फिर से उजागर कर दिया है। लाटूश रोड स्थित रिहाई

मंच के कार्यालय पर आगामी 16 मार्च को होने वाले ‘जन विकल्प मार्च’ के

उद्देश्यों को आम जन के बीच और अधिक ले जाने के लिए हुई बैठक में यह

तय किया गया कि सपा-भाजपा के इस गठजोड़ को नुक्कड़ सभाओं के माध्यम से

मुहल्ले-मुहल्ले जाकर बताया जाएगा।

बैठक में वक्ताओं ने कहा कि भाजपा विधायक संगीत सोम जिन्होंने फर्जी

वीडियो अपलोड कर मुजफ्फरनगर, शामली और आस-पास के जिलों में सांप्रदायिक

हिंसा भड़काई उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होनी है यह बात उस

दिन ही साफ हो गई थी कि जब सोम और राणा के ऊपर से सपा सरकार ने रासुका

हटावाई थी। मंच ने कहा कि सरकार कहती है कि उसके पास सबूत नहीं हैं पर

रिहाई मंच ने संगीत सोम और सुरेश राणा जो साइबर क्राइम के तहत जेल में बंद

होने के बावजूद जेल से भड़काऊ संदेश प्रसारित कर रहे थे, के खिलाफ

अमीनाबाद कोतवाली में जब तहरीर दी तो आखिर सरकार ने क्यों नहीं मुकदमा

दर्ज किया। सांप्रदायिकता विरोधी होने को जो विज्ञापन अभियान मुख्यमंत्री

अखिलेश यादव चला रहे हैं उन्हें बताना होगा कि मुसलमानों की गर्दन

काटने वाला बयान देने वाले वरुण गांधी को क्यों उन्होंने बरी करवाया।

उन्हें बताना होगा कि भाजपा सांसद आदित्यनाथ जो कि मुसलमानों की हत्या

और बच्चियों को उठाने की धमकी देते हैं आखिर सबूत होने के बावजूद

उन्होंने अब तक आदित्यनाथ पर क्यों नहीं कार्रवाई की।

वक्ताओं ने कहा कि जब सरकार के चार साल पूरे होने को हैं तो ऐसे में इसके

कृत्यों का पूरा लेखा जोखा आम जन के बीच ले जाना सबसे अहम कार्य है। सूबे

की अवाम अब तक नहीं भूली है कि किस तरह से सपा सरकार बनते ही कोसी कलां में

जुड़वा भाई कलुवा और भूरा को जिंदा जला दिया गया, किस तरह से अस्थान

में मुसमलमानों को टारगेट कर पूरे गांव को जला देने के बाद ईमानदार

पुलिस अधिकारी सीओ जिया उल हक की सपा के संरक्षण में रघुराज प्रताप सिंह ने

नृशंस हत्या करवाई। किस तरह आगरा में चर्च पर तो फैजाबाद में मस्जिद में

आग लगाकर पूरी साझी शहादत-साझी विरासत की परंपरा को नेस्तानाबूत इस सरकार ने

किया।

बैठक में तय किया गया कि अंबरगंज वार्ड, मोअज्जम नगर, चिकवा नगर, तकिया, राईन

नगर, चिक मंडी, बिलौजपुरा, रिफाह ए आम, मौलवी अनवार बाग, हजरत गंज, लाल बाग,

अकबरी गेट, दुबग्गा, लाल कुंआ, कसाई बाड़ा, बास मंडी, जनता नगरी, सदर,

चैधरी गड़या, मछली मोहाल, फूलबाग आदि जगहों पर लखनऊ में नुक्कड़

सभाओं का आयोजन 16 मार्च को होने वाले ‘जन विकल्प मार्च’ के मद्देनजर

किया जाएगा।

बैठक में रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब, राजीव यादव, शाहनवाज आलम,

सैयद मोईद अहमद, अमित मिश्रा, अबू जर किदवई, अनिल यादव, अब्दुल मोईद

कासमी, मो0 खालिद आजमी, सैयद मो0 वसी, खालिद कुरैशी, तारिक शफीक,

विनोद यादव, शबरोज मोहम्मदी, मोहम्मद शादाब, हाजी फहीम सिद्दीकी, राम

कृष्ण, मो0 आफाक, डा0 एम डी खान, इसहाक व अन्य मौजूद थे।

द्वारा जारी-

शाहनवाज आलम

(प्रवक्ता, रिहाई मंच)