सबसे बड़ा दुख वो खाली पेट है
जो रात भर खाली रहा,
और सुबह भी खाली ही है।
सबसे बड़ा दुख वो रोटी है
जो दुकान में सजी धजी बैठी है।
सबसे बड़ा दुख वो बाप है
जो अपने बच्चे को नहीं देख सकता।
सबसे बड़ा दुख वो पतंग है
जिसे काटने की डोर नहीं बनी।
सबसे बड़ा दुख वो रात है
जो बियाबान है।
सबसे बड़ा दुख वो दुख है
जो निकलना चाहकर भी
नहीं निकल पाता।
जो रात भर खाली रहा,
और सुबह भी खाली ही है।
सबसे बड़ा दुख वो रोटी है
जो दुकान में सजी धजी बैठी है।
सबसे बड़ा दुख वो बाप है
जो अपने बच्चे को नहीं देख सकता।
सबसे बड़ा दुख वो पतंग है
जिसे काटने की डोर नहीं बनी।
सबसे बड़ा दुख वो रात है
जो बियाबान है।
सबसे बड़ा दुख वो दुख है
जो निकलना चाहकर भी
नहीं निकल पाता।
वाह राहुल जी वाह! हैं सब से मधुर वो गीत जिन्हें हम दर्द के सुर में गाते हैं………।
ReplyDeleteवाह राहुल जी वाह! हैं सबसे मधुर वो गीत जिन्हें हम दर्द के सुर में गाते हैं…………
ReplyDeleteNice poem
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