पता है...हर चेहरे पर एक याद बसी है। हर चेहरे पर एक दुनिया बसी है। खामोश चेहरे जो सपनीले तरीके से बाहर चलती हवा को महसूस करते हैं, कितनी यादें बसी हैं उनमें। वो आंखें, जो पथराई सी है, कितनी खामोशी है उनमें...और कितनी दूरी। यादें हैं कि उन आंखों की पुतलियों को हिलने ही नहीं देते। झुर्रियां हों या ना हों, यादें जरूर होती हैं। सुख हो या ना हो, दुख जरूर होता है।
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