डेली डायरी
वक्त के साथ-आने वाले वक्त के लिए
Monday, January 27, 2014
ओउलेई ओडलेई ओ ऊ....
पता है... मुझे चुप कराना आता है। कभी कभी सोचता हूं कि कहीं ये किसी मर्द का काम तो नहीं.... जिंदगी एक सफर है सुहाना....ओउलेई ओडलेई ओ ऊ....। अचानक ये लगता पूर्णविराम नहीं अच्छा लगता ना...पर ये अचानक ही तो लगता है। बहरहाल, एक फोन करना है जरूरी।
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