Wednesday, March 21, 2018

नोटबंदी के बाद मार्केट में कहां से आया इतना कैश?

8 नवंबर 2016 की रात को अचानक मोदी जी के मन में नोटबंदी का लड्डू कैसे और क्यों फूटा, सही-सही तो वही बता सकते हैं, लेकिन उन्होंने हमें जो नोटबंदी का जो कालाधन टाइप का झूठ बताया था, उसकी पोलपट्टी खुलती जा रही है। वैसे भी, पोलपट्टी झूठ की ही खुलती है। शुक्र है मोदी जी धोती नहीं पहनते। बहरहाल, रिजर्व बैंक ऑफ मोदिया की ही रपट है कि अभी बाजार में जितना पैसा सर्कुलेशन में है, वह उन नंबर्स से कहीं ज्यादा है, जो नोटबंदी के पहले रिजर्व बैंक के पास थे। मतलब नोटबंदी के पहले मार्केट में जितना पैसा तैर रहा था, अब उससे कहीं ज्यादा तैर रहा है।

नोटबंदी के बाद नोटों का, हमारा, अर्थव्यवस्था का क्या हुआ और क्या होता जा रहा है, यह किसी से छुपा नहीं है। हम लाइनों में लगे, लाठी खाई, टांगें तुड़वाईं, गाली खाई, लड़े और लड़ने के बाद पता चला कि कालाधन तो सफेदधन कर लिया गया। वह भी बगैर कोई टैक्स चुकाए। अभी तक सरकार इसका एक्यूरेट आंकड़ा नहीं दे पाई है कि नोटबंदी के बाद कितना कालाधन उसने सफेद किया और सफेद करने के कितने पैसे लिए।

रिजर्व बैंक की रिपोर्ट कहती है कि 8 नवंबर से पहले देश में 17.97 ट्रिलियन करेंसी फ्लो में थी। तब मोदी महान ने ताली पीट-पीटकर कहा था कि कालाधन वाले माथा पीट रहे हैं, और ताली बजा बजाकर करोड़ों लोगों को बेवकूफ बनाया था। अब आरबीआई बता रहा है कि 8 मार्च 2018 यानी इसी महीने बाजार में कैश सर्कुलेशन 18.13 ट्रिलियन रुपये हो चुका है। मजे की बात यह कि अभी खुद आरबीआई को नहीं पता कि इसमें उसने नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और इनके लत्ते-गत्ते के कड़क नोट शामिल हैं या नहीं। वैसे अगर नरेंद्र मोदी के इन चाहने वालों के भी पैसे इसमें जोड़ दिए जाएं तो अमाउंट और भी बढ़ जाएगा।

अरे हां, नोटबंदी के पीछे मोदी महान ने एक और तर्क दिया था- डिजिटाइजेशन। आरबीआई की ही रिपोर्ट कहती है कि अक्टूबर 2017 से फरवरी 2018 तक के बीच में डेबिट-क्रेडिट कार्ड से होने वाले भुगतानों में मोदी महान जितनी ही गिरावट आ चुकी है। पिछले साल 28 अगस्त 2017 में आरबीआई ने ही बताया था कि नोटबंदी के बाद सिर्फ 1 फीसद नोट वापस नहीं आए, बाकी जितने छापे थे, सब वापस आ गए। मगर कालाधन? आया? पंद्रह लाख? आए? नौकरी? आई? हुंह। 

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