Tuesday, March 15, 2016

ककरापारा दुर्घटना के बाद ग्रीनपीस ने की पुराने भारी पानी रिएक्टरों के जाँच की मांग

गुजरात में ककरापारा परमाणु विद्युत स्टेशन में 11 मार्च को हुई गंभीर दुर्घटना के बाद ग्रीनपीस इंडिया ने देश के सभी पुराने भारी दबाव युक्त पानी रिएक्टरों की स्वतंत्र विशेषज्ञों द्वारा  तत्काल जाँच करवाने की मांग की है।  दुर्घटना के 72 घंटों के बाद भी, भारतीय परमाणु नियामक रिसाव की वजह का पता लगाने में असफल रहे हैं।

ग्रीनपीस कैपेंनर होजेफा मर्चेन्ट ने कहा, “ककरापारा की दुर्घटना संभवतः पुराने पुरजों में खराबी की वजह से हुई है। हमें चिन्ता है कि इन्हीं कारणों की वजह से दूसरे भारी पानी रिएक्टरों में भी दुर्घटना घट सकती है। हमें ककरापारा दुर्घटना की सार्वजनिक जांच करनी चाहिए और देश के बाकी पुराने भारी पानी रिएक्टरों की जाँच भी करनी चाहिए।

शुक्रवार को, फुकुशिमा त्रासदी के पांचवे बरसी पर , ककरापारा परमाणु विद्युत स्टेशन के यूनिट 1 में उस समय एमर्जेंसी घोषित की गयी, जब रिएक्टर शीतलन प्रणाली से रिसाव का पता चला। हालांकि घटना के तुरंत बाद रिएक्टर को तत्काल बंद कर दिया गया, परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (एईआरबी) ने कहा है कि यह दुर्घटना अंतर्राष्ट्रीय परमाणु इवेंट के पैमाने पर स्तर 1 की दुर्घटना है।

ककरापर यूनिट 1 करीब 20 साल पुराना है और एक  कनेडीयन डिज़ाइन पर आधारितदबाव युक्त भारी जल रिएक्टर कनाडू’ (कनाडा ड्यूटेरियम यूरेनियम) है। भारत में इसी डिज़ाइन के करीब सात और रिएक्टर हैं जो 20 साल पुराने हो चुके हैं। इन रिएक्टरों में किसी भी दुर्घटना से इन आठ रिएक्टरों के करीब 30 किलोमीटर क्षेत्र के आसपास रहने वाले 40 लाख से अधिक लोगों की जान खतरे में पड़ सकती है।[1].

कनाडू रिएक्टर जैसे-जैसे पुराने होते हैं, उन्मे दुर्घटना के खतरे भी बढ़ जाते हैं क्योंकि उन हजारों पाइप की, जो ईंधन और भारी पानी के परिवहन के लिये इस्तेमाल होते हैं, उनकी गुणवत्ता घटने लगती है। दुर्घटना के खतरे को देखते हुए कनाडू रिएक्टरों को 25 साल बाद बंद कर, पूरी तरह सेरीट्यूबिंगकिया जाना चाहिए।

होजेफा का कहना है, “ककरापर दुर्घटना पर जारी बयान में परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड ने कहा है कि रिएक्टर केप्रेशर ट्यूब’, जो ईंधन के बंडल को रखते हैं, को 2011 में बदला गया लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि  सुरक्षा के मद्देनजर सभी संवेदनशील पुरजों को बदला गया या नहीं। न तो ककरापार के संचालक और न ही नियामक ने यह खुलासा किया है कि किन पुरजों और ट्यूब में खराबी की वजह से रिसाव की घटना हुई है। इसलिए ककरापार दुर्घटना और भारत के दूसरे पुराने रिएक्टरों की तत्काल जाँच करने की जरुरत है।

कनाडू रिएक्टर डिज़ाइन की विशेष जानकारी रखने वाले ग्रीनपीस कनाडा के कार्यकर्ता शॉन-पैट्रिक स्टेनशिल ने बताया, “काकरापर घटना ने हमें याद दिलाया है कि भारत के कई भारी पानी रिएक्टर पुराने हो गये हैं और दुर्घटना के लिहाज से संवेदनशील हैं। पुराने रिएक्टरों के प्रभाव को अभी अच्छे से नहीं समझा जा सका है - लोगों की सुरक्षा के लिहाज से एहतियाती कदम उठाने की जरुरत है। सभी बीस साल पुराने भारी पानी रिएक्टर की जाँच होनी चाहिए जिससे यह तय हो सके कि ककरापर की घटना दूसरे स्टेशनों में नहीं दुहरा पाये। सभी जांच को सार्वजनिक किया जाना चाहिए और इनकी स्वतंत्र समीक्षा होनी चाहिए।

भारत में फिलहाल 18 दबाव युक्त भारी जल रिएक्टर में से आठ कनाडू डिजायन के हैं जो बीस साल पुराने हो चुके हैं। चार सबसे पुराने रिएक्टर रावतभाटा, राजस्थान में और चेन्नई, तमिलनाडू में स्थित हैं। इन सभी आठ जगहों के 30 किलोमीटर के आसपास करीब 4.16 मिलियन लोग रहते हैं। ककरापरा के 30 किलोमीटर इलाके में भी करीब दस लाख लोग रहते हैं।

Notes to Editors:
2- रिएक्टर जानकारी एनपीसीआईएल वेबसाइट से इकट्ठा
3- जनसंख्या 2011 की जनगणना से इकट्ठा
4- ‘रीट्यूबिंग डेटा एईआरबी वार्षिक रिपोर्ट से संकलित
5- तालिका: वर्तमान दबाव भारी पानी रिएक्टरों (PHWRs) और खतरे में जनसंख्या


नाम
कमीशन की तारीख
रिएक्टर प्रकार और क्षमता
उम्र
अंतिम retubed
30 किलोमीटर की परिधि के भीतर आबादी
केपीसए APS 1
6 मई 1993
दबावयुक्त भारी जल रिएक्टर - 220mw
22
2008- 11
काकरापारा गुजरात
960,000
KAPS 2
1 सितंबर 1995
दबावयुक्त भारी जल रिएक्टर- 220mw
20
?
आरएपीसए  1
16 दिसंबर 1973
दबावयुक्त भारी जल रिएक्टर- 100mw
42
2003
रावटभाटा राजस्थान
460,000
आरएपीसए 2
1 अप्रैल 1981
दबावयुक्त भारी जल रिएक्टर- 200mw
35
2007
एमएपीसए 1
27 जनवरी 1984
दबावयुक्त भारी जल रिएक्टर- 220mw
32
2003-06
चेन्नई तमिलनाडु
500,000
एमएपीसए 2
21 मार्च 1986
दबावयुक्त भारी जल रिएक्टर- 220mw
29
2002-04
एनएपीसए1
1 जनवरी 1991
दबावयुक्त भारी जल रिएक्टर- 220mw
25
2005-08
नरोरा उत्तरप्रदेश
2,240,000
एनएपीसए 2
1 जूलाई 1992
दबावयुक्त भारी जल रिएक्टर- 220mw
24
2007-10

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